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पुनर्वित्त योजना

पुनर्वित्त योजना

आईआईएफसीएल की नई पुनर्वित्‍त योजना

1. उद्देश्‍य:

आईआईएफसीएल की पुनर्वित्त योजना का प्रमुख उद्देश्य, देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निधियों का प्रवाह बढाना है। इस योजना के तहत, आईआईएफसीएल बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को दिये गये उनके ऋण के संबंध में पुनर्वित्त उपलब्ध कराएगा एवं पुनर्वित्‍त के लिए विनिर्दिष्‍ट मापदंड पूरा करने वाली अवसंरचना परियोजनाओं के वित्‍तपोषण के उद्देश्‍य से भारत सरकार द्वारा निर्धारित एनबीएफसी-आईएफसी/एनबीएफसी को निधियों का प्रवाह बढ़ाने की संभावनाएं तलाशेगा।

2. पात्रता:

I.    पात्र संस्थान:

(क)          भारत में विद्यमान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

(ख)          कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (72) के तहत अधिसूचित सार्वजनिक वित्तीय संस्थान

(ग)           + अथवा उससे अधिक की रेटिंग वाली कम से कम 500 करोड़ रुपये की आस्ति आकार वाली एनबीएफसी-आईएफसी

(घ)           शिक्षण एवं स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के वित्‍तपोषण के लिए भारत सरकार द्वारा स्‍थापित प्रणालीगत रूप से महत्‍वपूर्ण जमाराशि स्‍वीकार नहीं करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनि‍यां (एनबीएफसी-एसआई-एनडी)

II.  पात्र अवसंरचना परियोजनाएं: ऐसे किसी भी क्षेत्र की बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं जो सामंजस्‍यपरक सूची एवं/अथवा ईसीबी के दिशानिर्देशों (आईआईएफसी (यूके) के मामले में) के तहत परिभाषित हैं।

3. पुनर्वित्त की सीमा:

आईआईएफसीएल, उधार लेने वाले पात्र संस्थानों को बकाया ऋण का 80 प्रतिशत तक का पुनर्वित्त उपलब्ध कराएगा।

4. ब्याज दर:

ब्याज दर आईआईएफसीएल की बैंचमार्क दर से जुडी होगी जो संस्थान की निम्नलिखित क्रेडिट रेटिंग के आधार पर होगी:

संस्‍थान की बाहरी रेटिंग जिसके लिए पुनर्वित्‍त पेश किया जा रहा है

प्रभारित की जाने वाली न्‍यूनतम ब्‍याज दर

एएए अथवा इसके समतुल्‍य

आईआईएफसीएल की बैंचमार्क दर

एए/एए+/एए- अथवा इसके समतुल्‍य

आईआईएफसीएल की बैंचमार्क दर + 15 बीपीएस

/+/-अथवा इसके समतुल्य

आईआईएफसीएल की बैंचमार्क दर + 30 बीपीएस

पुनर्वित्त दरों का वार्षिक तौर पर अथवा समय-समय पर पुनर्निर्धारण किया जा सकता है।

5. पुनर्वित्त की अवधि:

पुनर्वित्त की अधिकतम अवधि कम से कम एक वर्ष की अधिकतम अवधि के साथ आईआईएफसीएल की प्रचलित देयता प्रोफाइल पर आधारित हो सकती है।

6. पुनर्वित्त का पुनर्भुगतान:

मूलधन का पुनर्भुगतान एवं ब्याज का भुगतान मासिक/तिमाही आधार पर किया जा सकता है। समान किस्त, संरचित पुनर्भुतान, त्वरित पुनर्भुतान इत्यादि को शामिल करने के लिए मूलधन के पुनर्भुगतान की संरचना की जा सकती है। पात्र ऋणदाता संस्थानों को प्रत्येक पुर्नवित्त जारी करने के पश्चात पुनर्वित्त अनुसूची में ब्याज एवं मूलधन के भुगतान की अंतिम तिथि से अवगत कराया जाएगा।

7. आईआईएफसीएल का एक्‍सपोजर :

1. अंतर्निहीत ऋण (णों) का ऋण जोखिम, जिस पर आईआईएफसीएल द्वारा पुनर्वित्त प्रदान किया गया है, पूर्णत: उधार लेने वाले पात्र संस्थानों के पास रहेगा जिन्‍हें पुनर्वित्त प्रदान किया गया है। आईआईएफसीएल का एक्‍सपोजर उन पात्र संस्थानों को होगा जिसको आईआईएफसीएल द्वारा पुनर्वित्त प्रदान किया गया है। आईआईएफसीएल का अनुमेय एक्‍सपोजर नियामक एक्‍सपोजर की अधिकतम सीमा के अधीन होगा।

8. पुनर्वित्तन की अन्य शर्तें

) पुनर्वित्त प्राप्त करने की अधिकतम समय सीमा आईआईएफसीएल द्वारा संस्‍वीकृत पुनर्वित्त की तिथि से तीन माह तक है।

) ऋण दायित्वों का शोधन न होने पर 2 प्रतिशत का दंडस्वरूप ब्याज लगाया जाएगा एवं आईआईएफसीएल के पास पात्र संस्थान से ब्याज/दंड स्वरूप ब्याज/इस संबंध में वसूली के व्यय, शुल्क एवं कोई अन्य व्यय इत्यादि के साथ ऐसी पुनर्वित्त राशि की वसूली के सभी अधिकार होंगे।

) पुनर्वित्त का पूर्वभुगतान करने पर बकाया पुनर्वित्त राशि पर 2 प्रतिशत तक का पूर्वभुर्गतान दंड लगाया जाएगा।

) उधार लेने वाली संस्थाएं प्रत्येक तिमाही में विधिवत प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे जिसमें प्रत्येक अंतर्निहीत परियोजना, जिसके लिए पुनर्वित्त‍ प्राप्त किया गया है, के संबंध में बकाया राशि का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया हो।

.) उधार लेने वाली संस्थाएं प्राप्त पुनर्वित्त के संबंध में, प्रतिकूल शेष राशि (पुनर्वित्त की बकाया राशि अंतर्निहीत परियोजना ऋण के बकाया राशि का 80 प्रतिशत से अधिक रहने पर) से बचने का प्रयास करेंगी। ऐसे मामलों में आईआईएफसीएल के पास प्रतिकूल शेष अवधि के लिए 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष का अतिरिक्त ब्याज लेने का अधिकार होगा। आईआईएफसीएल ऐसे मामलों में बिना कोई पूर्वभुगतान दंड लगाये प्रतिकूल शेष की सीमा तक पूर्व भुगतान करने की अनुमति देगा। उधारकर्ता वैकल्पिक रूप से मौजूदा अंतर्निहीत ऋणों को उन नये परियोजना ऋणों में भी बदल सकता है जो इस योजना (अनुच्छेद 2 (ii) के अधीन पात्र ऋण हैं।

) आईआईएफसीएल का पुनर्वित्त पोर्टफोलियों उसके कुल अग्रिमों के 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।